Mental Health जागरूकता: परामर्शदाताओं की बढ़ती आवश्यकता को संबोधित करना

Table of Contents

Mental Health जागरूकता: परामर्शदाताओं की बढ़ती आवश्यकता को संबोधित करना

दोस्तों आज के समय में Mental Health हम सबके सामने एक बहुत बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है, दरअसल हमारा भारतीय समाज कुछ इस प्रकार के ढांचे में ढल गया है जहां शारीरिक स्वास्थ्य को तो बहुत गंभीरता से लिया जाता है, लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो लोग इस पर बात करने से भी कतराते हैं। हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर बात करने को लेकर एक हिचकिचाहट  है, लोग इसे एक समस्या नहीं बल्कि शर्म की बात मानते हैं।

Mental Health पूरे विश्व के लिए एक चर्चा का विषय है, क्योंकि दुनिया भर के लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।

हालांकि बीते कुछ सालों में Mental Health को लेकर धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, समिति के गिने-चुने लोग मानसिक समस्याओं को सामान्य बनाने में लगे हुए हैं। और उम्मीद है कि आने वाले समय में मानसिक समस्याएं भी शारीरिक समस्याओं की तरह सामान्य होगी और लोग इसे शर्म नहीं बल्कि इसका समाधान ढूंढने पर विचार करेंगे।

Mental Health (मानसिक स्वास्थ्य) की परिभाषा

mental health

मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य है जब हम तनाव से बिल्कुल दूर हो और अपना काम सक्रिय तरीके से कर रहे हो। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन में सही निर्णय ले पाते हैं और प्रत्येक परिस्थिति के लिए तैयार रहते हैं। Mental Health हमारी सोच और व्यवहार को प्रभावित करता है। इतना ही नहीं यह हमारे महसूस करने के तरीके को भी प्रभावित कर सकता है।

व्यक्ति के Mental Health का सही होना जरूरी है ताकि वह फोकस होकर एक क्षेत्र में काम कर सके और जीवन में सफलता हासिल कर सके।

क्योंकि कई बार जीवन में ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जिससे हमें तनाव हो जाता है, यह तनाव थोड़े समय के लिए तो ठीक है किंतु जब यह लंबे समय तक हमारे साथ होता है तब तनाव अवसाद का रूप ले लेता है, जिसमे over thinking, anxiety जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है जो व्यक्ति को गलत चीज सोचने पर मजबूर करती हैं।

Also Read: Hiv /AIDS 2030 तक होगा ख़तम लेकिन और समाधानों की होगी जरुरत

मानसिक स्वास्थ्य, एक उभरती हुई समस्या

mental health

मानसिक रोगों में अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया, चिंता, ऑटिज़्म, डिस्लेक्सिया, डिप्रेशन, कमज़ोर याददाश्त, बायपोलर डिसऑर्डर आदि आते हैं। किसी व्यक्ति में जब इन लोगों के लक्षण शुरू होते हैं तब उसका पूरा जीवन प्रभावित हो जाता है, उसकी एकाग्रता में कमी आ जाती है और वह अधिक थकान महसूस करने लगता है, उसके व्यवहार में परिवर्तन शुरू हो जाते हैं।

Covid वह समय था जब सबके Mental Health की परीक्षा थी, और यही वह समय है जब इस बीमारी ने विश्व भर का ध्यान अपनी ओर खींचा। रिकॉर्ड्स के अनुसार भारत में लगभग 7% की आबादी अपने मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रही है। बात करें परामर्शदाताओं की तो 10 लाख आबादी पर केवल 3 परामर्शदाता ही मौजूद है, जबकि इनकी संख्या 6 से 7 होनी चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के कारण

मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के कई कारण होते हैं जैसे कि किसी करीबी की मृत्यु हो जाना या फिर उसका दूर चले जाना। या अगर आप किसी काम को करने में बार-बार असफल हो रहे हैं ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। कई बार तो व्यक्ति अपने काम के क्षेत्र में इतना दबाव झेल रहे होते हैं कि अच्छा काम और अच्छी सैलरी होने के बाद भी वह अपना Mental Health ठीक नहीं रख पाते हैं और अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं।

Mental Health खराब होने के बाद व्यक्ति अक्सर उन रास्तों की ओर चले जाते हैं जहां उन्हें कभी नहीं जाना चाहिए, कई व्यक्ति  नशे को अपना साथी बना लेते हैं तो कई दुनिया छोड़कर ही चले जाते हैं।

जबकि सही तो यह है कि यदि किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो वह तुरंत किसी परामर्शदाता को संपर्क करें, क्योंकि मानसिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अगर कोई सबसे अच्छी भूमिका निभा सकता है तो वह है मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता।

Also Read: पुणे में मिला Zika Virus जाने कारण, लक्षण, रोकथान और उपचार

कौन है Mental Health परामर्शदाता

जिस प्रकार हर एक बीमारी के लिए हम डॉक्टर के पास जाते हैं इस तरह Mental Health परामर्शदाता भी एक डॉक्टर की तरह काम करते हैं जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और अगर कोई मानसिक समस्या है तो वह अपने परामर्श से उसे ठीक करने का प्रयास करते हैं।

वे विशेषज्ञ होते हैं, उन्होंने इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया होता है कि किस प्रकार से किसी मानसिक समस्या को ठीक करना है। वह उन सभी व्यक्तियों की सहायक होते हैं जो किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या की गुजर रहे हैं।

Mental Health परामर्शदाता का कार्य होता है की सबसे पहले में पीड़ित के बीमारी की पहचान करें, और फिर उसके बाद उसकी बीमारी के अनुसार उसे सलाह प्रदान करें। यदि वह काउंसलिंग के माध्यम से ठीक नहीं हो पा रहा है तब उसे मेडिकल ट्रीटमेंट भी दिया जा सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता के काम

Mental Health परामर्शदाता उन सभी व्यक्तियों की सहायता करने के लिए तत्पर होते हैं जो मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं और परामर्शदाता से सहायता चाहते हैं। परामर्शदाता सबसे पहले व्यक्ति की मानसिक स्थिति को समझते हैं उनसे उनकी समस्याओं का कारण जानते हैं, और तब जाकर उन्हें परामर्श देते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता हमेशा व्यक्ति की पहचान और उसकी समस्या को गोपनीय रखते हैं, यह उनके कार्य की नैतिकता होती है कि पीड़ित अथवा मानसिक समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति की पहचान को गोपनीय रखा जाए। एक बार व्यक्ति की समस्या को समझ लेने के बाद परामर्शदाता उन्हें ठीक करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, उन्हें समझाते हैं।

Mental Health को ठीक रखने के लिए  जरूरत पड़ने पर दवाइयों का इस्तेमाल भी किया जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता के लिए यह बेहद आवश्यक है कि पीड़ित उनके ऊपर विश्वास करें और उनकी बात को ध्यान से सुने, इसके लिए परामर्शदाता बेहद प्रेम और अपनापन के साथ पीड़ित से बातचीत करतेहैं।

मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता के कार्य क्षेत्र

Mental Health परामर्शदाता केवल अस्पतालों और क्लिनिक ही नहीं बल्कि कई और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी काम करते हैं।

 जेल में भी मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता को महत्व दिया जाता है, जहां पर भी अपराध से जुड़े हुए व्यक्तियों की काउंसलिंग करते हैं और उन्हें नया जीवन जीने के लिए प्रेरणा देते हैं।

स्कूलों में भी Mental Health परामर्शदाता को रखा जाता है ताकि वे छात्रों को सही दिशा दे सके जिससे की गई अपने पढ़ाई और अपने करियर में आगे बढ़ सके क्योंकि कई बार छात्र अपने करियर को लेकर बहुत ज्यादा कंफ्यूज होते हैं और दबाव में रहते हैं, यहां पर मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता उन्हें सही सलाह देकर आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।

परामर्शदाता का क्षेत्र काफी व्यापक होता है, आजकल तो ऑनलाइन काउंसलिंग की सुविधा भी उपलब्ध हो चुकी है ऐसे में परामर्शदाता नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके भी काउंसलिंग कर सकते हैं।

परामर्शदाता बनने के लिए शैक्षिक योग्यता

किसी भी क्षेत्र में सही तरीके से काम करने के लिए सबसे जरूरी मानी जाती है शैक्षिक योग्यता, ऐसे में Mental Health परामर्शदाताओं के पास भी महत्वपूर्ण शैक्षिक योग्यताओं का होना जरूरी है।

  • अगर आपको मनोविज्ञान विषय में रुचि है तब आप 10वीं पास करने के बाद कक्षा 11वीं में मनोविज्ञान विषय का चुनाव करें।
  • अच्छे नंबरों से मनोविज्ञान के साथ 12वीं की परीक्षा पास करें।
  • इसके बाद ग्रेजुएशन में आप मनोविज्ञान विषयसे B.A कर सकते है।
  • परामर्शदाता बनने के लिए B.A के बाद M.A  का कोर्स जरूर करें, यह एक पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री होती है।
  • M.A करने के बाद किसी अस्पताल या संस्था से जुड़कर आप स्वयं को एक परामर्शदाता के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
  • B.A और M.A के अलावा परामर्शदाता बनने के लिए डिप्लोमा कोर्स के विकल्प भी मौजूद होते हैं।
  • आप चाहे तो मनोविज्ञान में उच्चशिक्षा प्राप्त करके, PhD कोर्स करके भी परामर्शदाता का पद प्राप्त कर सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता के नैतिक गुण

एक अच्छे Mental Health परामर्शदाता के मन में दयालुता की भावना का होना आवश्यक है। जब दयालु होगा तभी जाकर वह मानसिक समस्या से जूझ रहे व्यक्ति की समस्या को सुन और समझ पाएगा और साथ ही उसे सही परामर्श भी देता है।

परामर्शदाता का अच्छा वक्ता होना भी जरूरी है, एक परामर्शदाता जब अपनी बात को अच्छी तरह से मानसिक समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के सामने रख पाएगा तभी उसकी काउंसलिंग का कुछ फायदा है। क्योंकि जब तक परामर्शदाता पीड़ित व्यक्ति को प्रभावित नहीं करेगा वह परामर्शदाता की बात को कभी नहीं सुनेगा, इसलिए परामर्शदाता में अच्छे वक्ता के गुण का होना आवश्यक है।

परामर्शदाता ईमानदार और भावनात्मक रूप से मजबूत होना चाहिए, ताकि वह दूसरे की परेशानियों को समझ कर उसका समाधान कर सके।

एक परामर्शदाता का ध्येय कभी रुपया पैसा अथवा प्रसिद्धि नहीं होनी चाहिए बल्कि उसका ध्येय दूसरों के जीवन में उजाला करना होना चाहिए।

Also Read: अगर मुंह में छाले (Mouth Ulcers) हो गए तो बस रात भर में पाए छुटकारा 2024

परामर्शदाताओं की बढ़ती आवश्यकता

धीरे-धीरे लोग Mental Health के महत्व को समझने लगे हैं और इस कारण इस क्षेत्र में परामर्शदाताओं की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण भी हैं क्योंकि अब लोगों को यह समझ में आ रहा है कि अपने जीवन को गलत दिशा में ले जाने से बेहतर है कि परामर्शदाता से सहायता ली जाए।

Covid 19 महामारी

mental health

Covid 19 महामारी ने जहां सभी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया वहीं इस बीमारी के कारण लोगों को मानसिक समस्याओं से भी गुजरना पड़ा है।Covid 19 के बाद लोगों में परामर्शदाता को लेकर जागरूकता बढ़ी है, क्योंकि जब आप मानसिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं तब परामर्शदाता ही आपको सही रास्ते पर ले आते है ठीक करते हैं। महामारी के बाद लोग परामर्शदाताओं के पास आने लगे इस कारण परामर्शदाताओं की मांग भी बढ़ी है।

जागरूकता अभियान

mental health

सोशल मीडिया के जमाने में जहां लोगों के लिए अपनी बात को कहना काफी आसान हो गया है और उसे एक साथ कई लोगों तक पहुंचाना भी, ऐसे में कई जानकार लोगों ने Mental Health को लेकर जागरूकता अभियान चलाएं और लोगों को इस क्षेत्र में सजग किया ताकि वे मदद के लिए आगे आ सके। इसका सकारात्मक असर भी देखने को मिला, कि अब लोगों में धीरे-धीरे मानसिक समस्याओं के लिए सहायता प्राप्त करने को लेकर संकोच खत्म हो रहा है। ऐसे में पर्याप्त रूप में परामर्शदाताओं का होना जरूरी है, जो सभी की सहायता कर सके।

समाज में बदलाव

हमारे मन में हमेशा एक डर होता है कि समाज के लोग क्या कहेंगे ऐसे में जब कोई व्यक्ति हमारे आसपास Mental Health समस्या से जूझ रहा होता है तब हम उसकी सहायता करने के विषय में ना सोचकर समाज के विषय में सोचने लगते हैं। लेकिन कई ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने समाज के विषय में ना सोचकर उसे व्यक्ति के बारे में सोचा जिसे सहायता की आवश्यकता है। सकारात्मक दृष्टिकोण अपना कर जब मानसिक समस्या से जूझ रही व्यक्ति की सहायता की जाएगी तो निश्चित ही समाज में बदलाव आएगा।

परामर्शदाता सहायता की सुविधा-

अगर आज के समय में व्यवस्थाओं को देखें तो हमारे पास कई ऐसे रास्ते हैं जिनका इस्तेमाल करके हम अपनी मानसिक समस्या के लिए समाधान ढूंढ सकते हैं, चाहे वह ऑनलाइन काउंसलिंग हो या फिर खुद परामर्शदाता के पास जाकर सहायता लेना। पहले यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी इस कारण भी लोग अपने Mental Health के बारे में नहीं सोच पाते थे। लेकिन आज सारी सुविधाएं उपलब्ध है, इस कारण परामर्शदाताओं की मांग भी बढ़ रही है।

परामर्शदाताओं पर बढ़ता विश्वास

mental health

जब हम बीमार होते हैं तो हमें पूरा विश्वास होता है कि यह डॉक्टर हमें ठीक कर देंगे, और यही विश्वास लेकर हम उसे डॉक्टर के पास जाते हैं

ठीक ऐसे ही बीते कुछ सालों में लोगों ने परामर्शदाताओं के ऊपर विश्वास दिखाया है, उन्होंने परामर्शदाताओं से सहायता ली है और भी ठीक होकर अपने जीवन में आगे की ओर बढ़े है, लोग जब सोशल मीडिया पर परामर्शदाताओं से मिले अपने अनुभवों को शेयर करते हैं तब कई और लोग उनसे प्रेरणा लेकर परामर्शदाता से सहायता प्राप्त करने के लिए आगे आते हैं। ऐसे में परामर्शदाताओं की आवश्यकता है और भूमिका दोनों बढ़ जाती है।

Mental Health परामर्शदाताओं के लिए चुनौतियां

जहां एक और Mental Health परामर्शदाताओं की मांग और आवश्यकता है बढ़ रही हैं वहीं पर परामर्शदाताओं के लिए इस क्षेत्र से जुड़ी हुई कई चुनौतियां भी सामने आ रही है।

परामर्शदाताओं के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण

जब Mental Health से जुड़ी हुई समस्याओं के लिए किसी को परामर्श की आवश्यकता होती थी तब यह काम पहले डॉक्टर ही किया करते थे, अभी तो कुछ सालों से परामर्श देने को एक अलग कैटेगरी बनाया गया है इसलिए अभी इस क्षेत्र में प्रयुक्त प्रशिक्षण और संसाधन की कमी है, परामर्शदाताओं का प्रशिक्षण मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आ रहा है।

बजट की समस्या

mental health

कई बार मानसिक समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति परामर्शदाता तक इसलिए नहीं जाते क्योंकि उनके पास बजट की समस्या होती है, Mental Health के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए इसकी लागत को कम करना परामर्शदाताओं के सामने एक चुनौती के रूप में आ रही है। यदि परामर्श लेने की प्रक्रिया की लागत कम होगी तभी ज्यादा से ज्यादा लोग परामर्शदाता से सहायता प्राप्त करने के लिए प्रेरित होंगे।

सामाजिक विचार –

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्या को हमारे समाज में एक कलंक की तरह देखा जाता है। यह एक बहुत ही पुरानी सोच है और इस सोच को बदल पाना इतना आसान नहीं होगा।

परामर्शदाताओं के लिए लोगों के सोच विचार को बदलने और Mental Health को गंभीरता से लेने की प्रक्रिया को स्थापित कर पाना काफी चुनौती पूर्ण काम है।

विश्वासपात्र व्यक्ति बना –

पीड़ित जब परामर्शदाता के पास पहुंचता है, तब परामर्शदाता के लिए यह चुनौती बन जाती है कि वह पीड़ित की सारी समस्याओं को सुने और धैर्य बनाएं, साथ ही अपनी बातों से पीड़ित व्यक्ति का विश्वास पात्र बने, क्योंकि कई बार पीड़ित परामर्शदाता पर भरोसा नहीं कर पाते और ऐसे में उनकी काउंसलिंग ठीक से नहीं हो पाती है।

भावनाओं पर काबू करना-

काउंसलिंग के दौरान कई बार परामर्शदाताओं के सामने यह चुनौती आती है कि वह पीड़ित की समस्या को देखकर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते और दुखी होजाते हैं। एक अच्छा परामर्शदाता बनने के लिए अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए पीड़ित की सहायता करने की चुनौती हमेशा परामर्शदाता को पार करनी ही होगी। इसलिए वे सबसे पहले अपनी भावनाओं पर काबू करना सीखें।

मानसिक स्वास्थ्य  की चुनौतियों के समाधान

भले ही पिछले कुछ समय से मानसिक स्वास्थ्य पर बात होने लगी है, लेकिन अभी भी हम पूरी तरह से मानसिक समस्या को अपने और इसका इलाज लेने में संकोच करते हैं, ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को आगे आना चाहिए। वे Mental Health को सामुदायिक स्वास्थ्य से जोड़ सकते हैं ताकि लोगों में मानसिक समस्याओं को लेकर संकोच काम हो सके और वह आगे कर सहायता प्राप्त कर सके। इसके लिए कई तरह से प्रयास किया जा सकता है जैसे कि – कैंपेनिंग करना, अखबारों में इश्तहार , सोशल मीडिया tag बनाकर पोस्ट करवाना इत्यादि।

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में प्रत्येक व्यक्ति तक जानकारी पहुंच सके इसके लिए एक दिन निश्चित किया गया है, 10 अक्टूबर को विश्व भर में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन अस्पताल और कई संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में बताया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस मनाने की पहल 1992 में की गई थी जब विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ के उप महासचिव रिचर्ड Mental Health दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया ।

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास

  • बढ़ती मानसिक समस्याओं को देखते हुए वर्ष 1982 में भारत सरकार द्वारा जिला स्तर पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित कराए गए जिसमें परामर्शदाताओं को समुदायों से जोड़ा गया, कैंप लगा कर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया गया।
  • भारत में मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 10 अक्टूबर 2014को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति नाम की एक योजना की घोषणाकी गई। इसके बाद वर्ष 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 भी लाया गया।
  • मानसिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जोड़ा गया, जिसमें किशोरावस्था को ध्यान में रखते हुए कई प्रोग्राम चलाए गए।

Read More : hindihunt.com

निष्कर्ष (Conclusion)

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सजगता न सिर्फ हमारे जीवन में सुधार लेकर आएगी बल्कि सामाजिक स्तर पर भी इससे काफी सुधार होगा। जब मानसिक मानसिक समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के लिए परामर्शदाता तक पहुंचना आसान होगा तब निश्चित ही वह सहायता प्राप्त करेगा जिससे कि सभी के जीवन स्तर में सुधार आएगा। यह विकास के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही एक स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण तभी हो सकता है जब यहां पर रह रहे व्यक्तियों का मानसिक स्वास्थ्य सबसे अच्छा हो ताकि वह कभी कोई गलत निर्णय ना ले, और सबके लिए प्रेरणादाई रूप में काम करें।

Leave a Comment