G7 Summit भारत के लिए जरूरी क्यों है ? 

G7 Summit भारत के लिए जरूरी क्यों है ? 

औद्योगिक और आर्थिक दृष्टि से दुनिया के सात सबसे ताकतवर और समृद्ध देशो का संगठन G7 Summit हर साल आयोजित होता है। इस साल 2024 को G7 Summit की बैठक 13 जून से 15 जून तक इटली देश के अपुलिया के फसानो शहर के बोर्गो एग्नाज़िया में आयोजित हुआ था। इस संगठन में भारत देश आधिकारिक तौर पर शामिल नहीं है उसके बावजूद पिछले 5 सालों से भारत G7 के बैठक में भाग ले रहा है। हर साल के बैठक में भारत को आमंत्रण मिलता है। आखिर क्या है इसके पीछे का कारण और G7 बैठक भारत के लिए किस-किस तरीके से है फायदेमंद उसके बारे में आज के इस लेख में हम विस्तृत में जानेंगे।

G7 Summit क्या है?

G7 Summit

G7 Summit भारत के लिए क्यों है जरूरी उससे पहले जानना जरूरी है कि आखिर G7 Summit क्या है? G7 दुनिया के सात देशो का एक संगठन है। यह एक वैश्विक मंच है जहां पर दुनिया के सात विभिन्न देश मिलकर विभिन्न बड़े बड़ी समस्याओ और मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इस ग्रुप में शामिल देश जापान, फ्रांस, इटली, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा है। 

G7 संगठन यूनाइटेड नेशंस, नेटो या EU की तरह कोई आधिकारिक संगठन नहीं है फिर भी यह संगठन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वैश्विक स्तर पर प्रभावित करता है। इस संगठन में शामिल 7 देश मिलकर दुनिया को प्रभावित करने वाले कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इस संगठन का गठन 1975 में किया गया था। बाकी संगठन की तरह इसका कोई मुख्यालय नहीं है इस संगठन में शामिल 7 देश बारी-बारी से शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हैं और 1 साल पहले ही दूसरे साल होने वाले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले देश की घोषणा हो जाती है। जो देश इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है उसे इसका अध्यक्ष माना जाता है।

G7 का इतिहास

1973 ईस्वी में अमेरिका की राजनीति में भूचाल आ चुकी थी। मिडिल ईस्ट के देशों में के सत्ता का भी रुख बदल रहा था जिसका प्रभाव तेल के आयात पर पड़ने लगा। आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए 25 मार्च 1973 को अमेरिका, फ्रांस, यूके और वेस्ट जर्मनी के वित्त मंत्री वाशिंगटन में इकट्ठा हुए। उस समय उस बैठक को G4 यानी की लाइब्रेरी ग्रुप का नाम दिया गया। नवंबर 1975 में जर्मनी और फ्रांस के द्वारा मिलकर g5 की बैठक बुलाई गई थी। इटली, फ्रांस का पड़ोसी देश था जिसके कारण बैठक में इटली को भी आमंत्रित किया गया। उसके बाद ग्रुप में छह देश हो गए और इस तरह यह बैठक g6 कहा जाने लगा। 1976 में इसमें कनाडा भी शामिल हुआ जिसके बाद यह G7 बन गया। 1990 तक G7 का स्वरूप बदलकर G8 हो गया। 

1998 में रूस को आधिकारिक तौर पर इस बैठक का सदस्य बनाया गया था। लेकिन G7 के कई सदस्य देशो को यह मंजूर नहीं था। उनका मानना था कि रूस उन देशों के अर्थव्यवस्था के बराबर में बिल्कुल नहीं है। लेकिन अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रूस को पश्चिमी देशों के करीब लाना चाहते थे। इसीलिए अन्य देशों के विरोध के बावजूद भी रूस G7 के साथ जुड़ा रहा। कुछ साल के बाद रूस में व्लादिमीर पुतिन का सत्ता आया। पुतिन बहुत ही आकर्मक था। वह लोकतंत्र में भरोसा नहीं रखता था। उसने 2014 में क्रीमिया पर हमले का आदेश दे दिया था जिसके बाद G7 में शामिल देशो ने उसकी बहुत निंदा की और अंत में 2007 में रूस को G8 से बाहर कर दिया गया और इस तरीके से G8 घटकर फिर से G7 बन गया। 

क्या भारत भी शामिल है G7 Summit में 

जैसे कि हमने आपके ऊपर बताया जी7 संगठन में इटली, जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और कनाडा यह सात देश शामिल है। लेकिन उसके बावजूद पिछले 5 सालों से लगातार भारत भी G7 के शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहा है। आखिर क्या है कारण की भारत को लगातार G7 Summit की बैठक में शामिल होने का निमंत्रण मिलते आ रहा है। न केवल पांच बार बल्कि हडसन इंस्टिट्यूट के अनुसार भारत 11 बार G7 के बैठक में शामिल हो चुका है। न केवल भारत की इच्छा रहती है G7 के सम्मेलन में शामिल होने की बल्कि G7 भारत को हर हालत में अपने साथ रखना चाहता है। इसका एक उदाहरण इस घटना से आप समझ सकते हैं। साल 2007 में G7 की बैठक जर्मनी में होने वाली थी। उस समय जर्मनी के चांसलर मार्केल ने भारत को निमंत्रित किया था। उस समय भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। लेकिन चांसलर ने सभी मेहमान देशो को अपनी बात रखने के लिए बहुत कम समय अलोट किया था जो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मंजूर नहीं थी। इसीलिए उन्होंने नाराज होकर उस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया। 

जिसके बाद भारत को G7 बैठक में शामिल करने के लिए जर्मनी को भारत और अन्य मेहमान देश को दिया गया समय बढ़ाना पड़ा। इस घटना से आप समझ सकते हैं कि G7 शिखर सम्मेलन में भारत बिना सदस्य हुए भी कितना महत्व रखता है। इसका कारण है अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में भारत का बढता प्रभाव और जिम्मेदार। भारत की शाखा दुनिया में तेजी से लगातार बढ़ रही है। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला सातवां देश है। यह पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। वैश्विक राजनीति में भी भारत को एक नहीं पहचान मिली है। वैश्विक मामलों में भी भारत ने अपना पक्ष हमेशा मजबूती के साथ रखा है। भारत की बढ़ती हुई गति को देखते हुए G7 के देश भारत को अपने करिब रखना चाहते हैं।

भारत के लिए क्यों है जरूरी G7? 

G7 Summit

G7 में अर्थव्यवस्था की नजर से दुनिया के सात सबसे ताकतवर देश शामिल है। G7 Summit में शामिल सातों देशो की अर्थव्यवस्था 45 ट्रिलियन डॉलर की है। दुनिया की जीडीपी में इन देशों का योगदान 43 फ़ीसदी है। यहां तक कि इसमें शामिल 7 देशो का नाम सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले दुनिया के टॉप 15 देशो की सूची में आता है। इतना ही नहीं ये सात देश दुनिया के 10 सबसे बड़े निर्यातक देशों में से है। ये सातों देश यूनाइटेड नेशंस को भी डोनेशन देते हैं।

हर एक क्षेत्र में इतनी भूमिका निभा रहे ये देश दुनिया की राजनीति में उनकी भूमिका बहुत ही मजबूत है। एचआईवी एड्स, न्यूक्लियर डिजास्टर, मलेरिया के लिए फंड जुटाना, क्लाइमेट चेंज, लैंगिक समानता जैसे कई मामलों में भी इन देशो ने बड़ी भूमिका निभाई है। ऐसे में G7 Summit की बैठक में भाग लेना भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण और जरूरी है। इस बैठक में हिस्सा लेकर भारत, भारत के विकास में बाधा पड़ रहे कई समस्याओं को ऐसे सात मजबूत देशो के सामने रख सकता है। G7 सम्मेलन से भारत को इन देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने में मदद मिलता है जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर इन देशों की मदद ली जा सकती है।

G7 Summit 2024 के मुद्दे 

G7 Summit

इस बार साल 2024 में G7 2024 का बैठक 13 जून से 15 जून तक इटली शहर में आयोजित हुआ। इटली सातवीं बार G7 Summit की मेजबानी किया है। इस बार g7 सम्मेलन में भारत के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, अल्जीरिया, केन्या, तुर्की, अर्जेंटीना, यूक्रेन, ब्राज़ील, ट्यूनीजिया और मोरीतानिया के राष्ट्रीयध्यक्षो को भी आमंत्रित किया गया था। G7 के 50वीं सम्मेलन (50th G7 Summit)में 13 जून को मध्य पूर्व इजरायल गाजा के बीच हो रहे संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन रूस से संबंधित विषयों पर चर्चा किया गया। 14 जून को AI, ऊर्जा और माइग्रेशन जैसे विषयों पर चर्चा हुआ। 15 जून को इटली ने प्रेस वार्ता किया।

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G7 के कुछ आलोचनात्मक तथ्य 

G7 Summit
  • G7 के आलोचनात्मक तथ्यों में से एक यह है कि G7 ज्यादातर अमीर देशो को प्रमोट करता है। माना जाता है कि G7 गरीब देशो का ज्यादा फेवर नहीं करता है। हालांकि यह कभी कबार गरिब देशो की मदद भी करता है तो टेक्नोलॉजी शेयर जैसे बड़े मुद्दों के मामले में साथ नहीं देता। 
  • G7 को लेकर यह भी आलोचनात्मक बातें कही जाती है कि G7 के सात देश बगैर दूसरे देशों के राय मशविरा लिए बड़े फैसले कर लेता हैं।
  • G7 को लेकर यह भी कहा जाता है कि इसमें शामिल देश अपने हित के बारे में ही ज्यादा सोचते हैं ये अंतरराष्ट्रीय कानून और नियमों में समय के मुताबिक सुधार नहीं करते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में आपने औद्योगिक दृष्टि से विकसित विश्व के सात देशो का समूह G7 के बारे में जाना। इसके साथ ही भारत के लिए G7 क्यों महत्वपूर्ण है और G7 Summit से जुड़ी अन्य जानकारी आपने प्राप्त की। हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख से आपको G7 से जुड़े सभी प्रश्नों का जवाब मिल गया होगा। यदि इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट में लिखकर बता सकते हैं।

FAQ‘s

G7 में कौन-कौन से देश शामिल है? 

G7 में फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल है। 

साल 2024 में G7 शिखर सम्मेलन का कौन सा वर्षगांठ है? 

G7 2024,  50 वां शिखर सम्मेलन था। 

G7 की पहली बैठक किस उद्देश्य से हुई थी? 

G7 संगठन की पहली बैठक सऊदी अरब में शुरू हुई तेल क्राइसिस से निपटने के उद्देश्य से हुई थी।

G7 का मुख्यालय कहां है? 

G7 का कोई मुख्यालय नहीं है , इसमें शामिल सातों देश बारी-बारी से शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हैं।

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