New Criminal Laws 2024: FIR, आतंकवाद सहित इन कानूनों में हुए बदलाव

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New Criminal Laws 2024 : FIR, आतंकवाद सहित इन कानूनों में हुए बदलाव

नए Criminal कानूनों  का न्याय प्रणाली पर प्रभाव: कानूनी चुनौतियाँ और आलोचनाएँ।

भारत में कानूनों में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं ताकि समाज को सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाया जा सके। हाल ही में, कुछ महत्वपूर्ण New Criminal Laws लाये गए हैं, जिनमें एफ आई आर नियम, आतंकवाद, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ अपराधों की जांच, मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून आदि शामिल हैं। इस ब्लॉग में हम इन बदलावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

एफ आई आर नियम में बदलाव

एफ आई आर दर्ज करने की प्रक्रिया

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एफ आई आर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) किसी अपराध की सूचना दर्ज करने का पहला कदम है। New Criminal Laws के तहत, एफ आई आर दर्ज करने की प्रक्रिया को और भी सरल और सुगम बना दिया गया है। अब पुलिस को एफ आई आर दर्ज करने में देरी या अनदेखी करने की अनुमति नहीं है। इसके अतिरिक्त, अब नागरिकों को ऑनलाइन एफ आई आर दर्ज करने की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिससे न्याय प्राप्त करना आसान हो गया है।

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ऑनलाइन एफ आई आर दर्ज करने की सुविधा

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ऑनलाइन एफ आई आर दर्ज करने की सुविधा से नागरिकों को काफी राहत मिलेगी। अब किसी भी अपराध की सूचना देने के लिए पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, यह सुविधा उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगी जो किसी कारणवश पुलिस स्टेशन नहीं जा सकते।

एफ आई आर दर्ज करने में पारदर्शिता

नए नियमों के तहत, एफ आई आर दर्ज करने में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। अब एफ आई आर दर्ज करने के बाद, नागरिकों को एक कॉपी तुरंत प्रदान की जाएगी, जिससे उन्हें यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी शिकायत दर्ज की गई है। इसके अलावा, एफ आई आर दर्ज करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग भी की जाएगी ताकि इसमें किसी भी प्रकार की धांधली न हो सके।

महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता

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प्राथमिकता देने का कारण

महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ होने वाले अपराध समाज के सबसे कमजोर वर्गों को प्रभावित करते हैं। इसलिए, इन अपराधों की जांच को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है।

तेजी से कार्रवाई

New Criminal Laws के तहत, इन मामलों में तेजी से कार्रवाई की जाएगी। अब पुलिस को इन मामलों की जांच में देरी नहीं करनी चाहिए और जल्द से जल्द जांच पूरी करके दोषियों को सजा दिलाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

सख्त सजा

महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ अपराधों में दोषियों को सख्त सजा देने के प्रावधान किए गए हैं। यह सजा न केवल दोषियों को सबक सिखाने के लिए बल्कि समाज में एक सशक्त संदेश देने के लिए भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।

सहायता और पुनर्वास

New Criminal Laws के तहत, पीड़ितों को सहायता और पुनर्वास के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। अब पीड़ितों को न्याय मिलने तक सहायता प्रदान की जाएगी और उन्हें पुनर्वास के लिए भी कदम उठाए जाएंगे ताकि वे अपने जीवन को सामान्य तरीके से जी सकें।

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आतंकवाद की परिभाषा

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विस्तारित परिभाषा

आतंकवाद को रोकने और इसे नियंत्रित करने के लिए New Criminal Laws में आतंकवाद की परिभाषा को विस्तृत और स्पष्ट किया गया है। अब आतंकवादी गतिविधियों को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इन गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद मिले।

सख्त कानून

New Criminal Laws के तहत, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं। अब आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जाएगी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी महत्वपूर्ण है। New Criminal Laws के तहत, भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाए हैं। अब आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम किया जाएगा।

जागरूकता अभियान

New Criminal Laws के तहत, आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे। इसके माध्यम से नागरिकों को आतंकवादी गतिविधियों के बारे में जागरूक किया जाएगा और उन्हें इनसे बचने के उपायों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

मॉब लिंचिंग के लिए कानून

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मॉब लिंचिंग की बढ़ती समस्या

हाल के वर्षों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, New Criminal Laws में मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए हैं।

सख्त सजा

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मॉब लिंचिंग के मामलों में दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। यह सजा उन लोगों को सबक सिखाने के लिए है जो भीड़ का हिस्सा बनकर किसी निर्दोष व्यक्ति को निशाना बनाते हैं।

त्वरित न्याय

मॉब लिंचिंग के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है। यह न्यायालय तेजी से मामलों की सुनवाई करेंगे और दोषियों को सजा देंगे।

सुरक्षा उपाय

New Criminal Laws के तहत, मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं। अब पुलिस को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अधिक सतर्क रहना होगा और समय पर कार्रवाई करनी होगी।

Pending मुकदमों और न्याय प्रणाली पर प्रभाव

Ironically यह है कि BNS ने प्रभावी रूप से देशद्रोह के अपराध को पुनः स्थापित कर दिया है (बिना इस शब्द का उपयोग किए), इसे धारा 152 के तहत “भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला” अधिनियम बताया है। यह तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 124A पर रोक लगा दी थी, जो देशद्रोह से संबंधित है, क्योंकि इसकी संवैधानिकता को लेकर कई चुनौतियाँ लंबित हैं। यह सुनियोजित विधायी कदम संभवतः सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा का सामना करेगा।

पर्यवेक्षकों ने यह भी नोट किया है कि BNS में आईपीसी की धारा 377 जैसी कोई भी प्रावधान नहीं है। पुरानी धारा 377 के तहत, गैर-सहमति वाली पीनाइल प्रवेश सेक्स को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा थी, और दोषी पाए जाने पर जुर्माना भी लगाया जाता था।

दिल्ली उच्च न्यायालय और बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आईपीसी की धारा 377 को सहमति वाले यौन संबंधों से बाहर रखने के बाद, यह “अप्राकृतिक सेक्स” को अपराधी ठहराती थी, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के बीच गैर-योनि प्रवेश कृत्य (मौखिक और गुदा) और मनुष्यों और जानवरों के बीच यौन कृत्य शामिल थे। आईपीसी किसी भी गैर-प्रजनन यौन संबंध को “अप्राकृतिक” मानता था।

BNS में धारा 377 जैसी प्रावधान की अनुपस्थिति का मतलब है कि पुरुषों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और जानवरों के साथ शामिल गैर-सहमति वाली पीनाइल प्रवेश सेक्स को दंडित नहीं किया जा सकता, जबकि महिलाओं को पीड़ित करने वाले गैर-सहमति वाले यौन कृत्य अभी भी दंडनीय अपराध बने रहेंगे।

आलोचकों का कहना है कि पर्याप्त संसदीय समीक्षा के बिना इन कानूनों का जल्दबाजी में पारित होना (पिछले साल संसद में सुरक्षा चूक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद 146 विपक्षी सदस्यों को निलंबित किया गया था) उनकी संवैधानिक वैधता के खिलाफ तौलना चाहिए।

जैसा कि कई हितधारक इन Criminal कानूनों की अपर्याप्त तैयारी के बिना प्रस्तावना का विरोध कर रहे हैं और लंबित मुकदमों पर उनके संभावित प्रतिकूल प्रभाव की चेतावनी दे रहे हैं, आने वाले दिनों में भारत की Criminal न्याय प्रणाली पर एक महत्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लटका हुआ है।

वी. वेंकटेशन एक स्वतंत्र कानूनी पत्रकार हैं जो नई दिल्ली में स्थित हैं। पूर्व में फ्रंटलाइन के वरिष्ठ सहयोगी संपादक रहे, उन्होंने कानूनी मुद्दों पर रिपोर्टिंग और टिप्पणी की है।

निष्कर्ष

New Criminal Laws में किए गए इन बदलावों का उद्देश्य समाज को सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाना है। एफ आई आर नियमों में सुधार, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ अपराधों की प्राथमिकता, आतंकवाद की परिभाषा में बदलाव और मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून, सभी कदम समाज के हित में उठाए गए हैं। हमें इन कानूनों का पालन करना चाहिए और समाज को सुरक्षित बनाने में योगदान देना चाहिए।

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FAQ

नए Criminal Laws में एफ आई आर नियमों में क्या बदलाव किए गए हैं?

नए Laws के तहत, एफ आई आर दर्ज करना अब और भी सरल और सुगम हो गया है। पुलिस को एफ आई आर दर्ज करने में देरी या अनदेखी नहीं करनी चाहिए और अब ऑनलाइन एफ आई आर दर्ज करने की सुविधा भी दी गई है।

महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ अपराधों की जांच को कैसे प्राथमिकता दी जाएगी?

नए Lawsके तहत, इन मामलों में तेजी से कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।

Q3:आतंकवाद की नई परिभाषा क्या है?

नए Laws में आतंकवाद की परिभाषा को विस्तृत और स्पष्ट किया गया है, जिससे आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

मॉब लिंचिंग के खिलाफ क्या कानून बनाए गए हैं?

मॉब लिंचिंग के खिलाफ नए Lawsमें सख्त प्रावधान किए गए हैं और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।

नए Criminal Laws का उद्देश्य क्या है?

नए Criminal Laws का उद्देश्य समाज को सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाना है।

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